नूतन प्रसाद
भारत के भइया हो तुम्मन मोर बात ला सुन लो जी।
मुंह छोटे पर बात बड़े हे चिटिक अकन गुन लो जी।।
हाथ मं हाथ ला देके काबर, मुड़ गडि़याये हवो उदास,
हाथ - पांव सांगर मोंगर हे, अड़के लव लउहा कल्दास।
लोहा जइसे तुम्हर देह हे, ताकत के का कमती हे,
जेमां चुप्पे चुप बइठे हो, बात कते तीर गल्ती हे।
गोठ मं बदरा नइये संगी, चाहे थोरकिन फुन लो जी।
भारत के भइया हो तुम्मन मोर बात ला सुन लो जी।
हम अकास के सरग ला भइया, ए धरती मं काबर लान,
हम तो धरती माता ला, सौंहत सुख के सरग बनान।
जिंहा पटकहू पांव तिंहा ले, निकल जही छलछल पानी,
ए भुंइया बर लहू गिराहू, होही सफल ए जिनगानी।
अपन - अपन मं झगरा भोंगरा हावे तेला तुल लो जी।
मुंहु छोटे पर बात बड़े हे चिटिक अकन तो गुन लो जी ।
आगू मं संकट के बादर, उमड़ - घुमड़ के जब आ जाय,
तुम्हर परीक्षा ले के खातिर, रददा मं कांटा मिल जाय।
बघवा के तुम आव डमरूवा, कोलिहा अस कस भागत हो,
गोड़ के मुड़ तक भारत मां के, अड़बड़ कारजा लागत हो।
जेमां देस के होय भलाई ओ रददा ला चुन लो जी।
भारत के भइया हो तुम्मन मोर बात ला सुन लो जी।
तुम्हरेच मुंह ला जोहत हावे, धरती ला हे तुम पर नाज,
अब चूकेव त चूकेव संगी , चूको झन ए पारी आज ।
एकर सेवा सटका करहू, पाहू सुख के मेवा रे,
आगू कोती पांव बढ़ाओ, भाग जही सब केवा रे।
एक बखत मं झन घबराओ, घेरी बेरी दुन लो जी,
मुंह छोटे पर बात बड़ हे चिटिक अकन गुन लो जी।
पता
ग्राम - भण्डारपुर ( करेला )
पोष्ट-ढारा,व्हाया-डोंगरगढ़
जिला - राजनांदगांव ( छत्तीसगढ़ )
भारत के भइया हो तुम्मन मोर बात ला सुन लो जी।
मुंह छोटे पर बात बड़े हे चिटिक अकन गुन लो जी।।
हाथ मं हाथ ला देके काबर, मुड़ गडि़याये हवो उदास,
हाथ - पांव सांगर मोंगर हे, अड़के लव लउहा कल्दास।
लोहा जइसे तुम्हर देह हे, ताकत के का कमती हे,
जेमां चुप्पे चुप बइठे हो, बात कते तीर गल्ती हे।
गोठ मं बदरा नइये संगी, चाहे थोरकिन फुन लो जी।
भारत के भइया हो तुम्मन मोर बात ला सुन लो जी।
हम अकास के सरग ला भइया, ए धरती मं काबर लान,
हम तो धरती माता ला, सौंहत सुख के सरग बनान।
जिंहा पटकहू पांव तिंहा ले, निकल जही छलछल पानी,
ए भुंइया बर लहू गिराहू, होही सफल ए जिनगानी।
अपन - अपन मं झगरा भोंगरा हावे तेला तुल लो जी।
मुंहु छोटे पर बात बड़े हे चिटिक अकन तो गुन लो जी ।
आगू मं संकट के बादर, उमड़ - घुमड़ के जब आ जाय,
तुम्हर परीक्षा ले के खातिर, रददा मं कांटा मिल जाय।
बघवा के तुम आव डमरूवा, कोलिहा अस कस भागत हो,
गोड़ के मुड़ तक भारत मां के, अड़बड़ कारजा लागत हो।
जेमां देस के होय भलाई ओ रददा ला चुन लो जी।
भारत के भइया हो तुम्मन मोर बात ला सुन लो जी।
तुम्हरेच मुंह ला जोहत हावे, धरती ला हे तुम पर नाज,
अब चूकेव त चूकेव संगी , चूको झन ए पारी आज ।
एकर सेवा सटका करहू, पाहू सुख के मेवा रे,
आगू कोती पांव बढ़ाओ, भाग जही सब केवा रे।
एक बखत मं झन घबराओ, घेरी बेरी दुन लो जी,
मुंह छोटे पर बात बड़ हे चिटिक अकन गुन लो जी।
पता
ग्राम - भण्डारपुर ( करेला )
पोष्ट-ढारा,व्हाया-डोंगरगढ़
जिला - राजनांदगांव ( छत्तीसगढ़ )
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