राम लंका विजय कर चुके थे.इसका समाचार कस्टम विभाग को मिला तो उसने गुÄ बैठक बुलायी.जब सभी उपक्स्थत हो गए तो वरिþ अधिकारी ने कहा- आप लोगो को ज्ञात होगा कि लंका सोने की नगरी है और राम वहां से आ रहे हैं....।
एक ने बीच में कहा- तो यिा हो गया ?सोना आभूषण बनवाने के लिए ला रहे होगे.
वरिþ अधिकारी ने डांटा - चुप रहो,राम दूसरों को ईमानदार बनने शिक्षा देते हैं.तस्करों को सफाया करने का आदेश देते हैं.लेकिन स्वयं अघोषित सोना ला रहे हैं.इसलिए उन्हें ऐरोड¬म पर ही धर लेना है.
दूसरे ने शंका की - लेकिन सर,इतने बड़े आदमी को रंगे हाथ पकड़ना आसान नहीं.अगर आपकी बात मान भी ले तोवे बाद में बदला लेंगे.
- चाहे कुछ हो.य दि कोई अधिकारी घूंस ले तो राम अपराध निरोधक दल के द्वारा पकड़वा कर दंड दिलायेंगे ही इसलिए उनकी पोल खुलनी ही चाहिए.
इधर कस्टम विभाग की मीटिंग च लरही थी उधर राम के गुÄच रों ने इसकी सूच ना उन तक पहुंचा दी.राम हड़बड़ाये.तुरंत भरत को फोन किया-हैलो..हैलो,भरत...।
भरत ने कहा- हां भइया,मैं भरत हूं लेकिन आप कहां से बोल रहे हैं.
राम ने गुस्से में भर कर कहा- जहÛुम से....।
- च ौदह वषोY तक आपकी वाणी सुनने को नहीं मिली थी.आया तो ककर्श है.लगता है- आप मुझसे नाराज हैं.
- और नहीं तो यिा .ऐसे तो तुम मेरे नाम की माला टरकाते हो पर मेरे ऊपर मुसीबत आ जाती है तो सहाय ता करने से मुंह मोड़ लेते हो.य ही नहीं दुख को और बढ़ाते हो.
- जबरन आरोप यिों लगा रहे हो .मैंने ऐसे कब किया ?.
भरत के पूछने पर राम ने बताया- लो प्रमाण देता हूं...जब लक्ष्मण को शIिबाण लगा था तो हनुमान को मैंने दवाई लाने भेजावह हिमाच ल प्रदेश से संजीवनी ला रहा था तो तुमने मार कर गिराया था कि नहीं..।
राम के द्वारा गलती पकड़े जाने पर भरत नवर्स हुए.उन्होंने क्षमा मांगते हुए कहा- भैया पिछली बातों को भूल जाइये.और अभी यिा करनी है बताइये.
राम ने बताया- मैं लंका सेसोना ला रहा हूं.इसकी जानकारी कस्टम विभाग को हो गयी है.उसने मुझे पकड़ने के लिए जाल बिछाया है.य दि माल बरामद हो गयी तो बड़ी बदनामी होगी.लोग मेरी पूजा करने से कतरायेंगे.
- आप ठीक कह रहे हैं.आपने इस च क्रव्यूह से बच ने के लिए कौन सा उपाय सोचा है.
- त्य ौहार मनाने के लिए आज का अवकाश दे दो.
भरत ने पूछा- छुuी देने से कमर्चारी काय र् छोड़ कर अपने घर च ले जायेगे तो राý¬ की उÛति में बाधा उपक्स्थत होगी कि नहीं ?
राम ने कहा- भाड़ में जाये राý¬ की उÛति.मैं य ही तो चाहता हूं कि कमर्चारी काय र्स्थल पर न रहे.ताकि मैं सोना को लेकर सुरक्षित राजमहल पहुंच जाऊं.
भरत ने बड़े भाई के आज्ञा को शिरोधाय र् कर तत्काल दीपावली अवकाश की घोषणा कर दी.
एक ने बीच में कहा- तो यिा हो गया ?सोना आभूषण बनवाने के लिए ला रहे होगे.
वरिþ अधिकारी ने डांटा - चुप रहो,राम दूसरों को ईमानदार बनने शिक्षा देते हैं.तस्करों को सफाया करने का आदेश देते हैं.लेकिन स्वयं अघोषित सोना ला रहे हैं.इसलिए उन्हें ऐरोड¬म पर ही धर लेना है.
दूसरे ने शंका की - लेकिन सर,इतने बड़े आदमी को रंगे हाथ पकड़ना आसान नहीं.अगर आपकी बात मान भी ले तोवे बाद में बदला लेंगे.
- चाहे कुछ हो.य दि कोई अधिकारी घूंस ले तो राम अपराध निरोधक दल के द्वारा पकड़वा कर दंड दिलायेंगे ही इसलिए उनकी पोल खुलनी ही चाहिए.
इधर कस्टम विभाग की मीटिंग च लरही थी उधर राम के गुÄच रों ने इसकी सूच ना उन तक पहुंचा दी.राम हड़बड़ाये.तुरंत भरत को फोन किया-हैलो..हैलो,भरत...।
भरत ने कहा- हां भइया,मैं भरत हूं लेकिन आप कहां से बोल रहे हैं.
राम ने गुस्से में भर कर कहा- जहÛुम से....।
- च ौदह वषोY तक आपकी वाणी सुनने को नहीं मिली थी.आया तो ककर्श है.लगता है- आप मुझसे नाराज हैं.
- और नहीं तो यिा .ऐसे तो तुम मेरे नाम की माला टरकाते हो पर मेरे ऊपर मुसीबत आ जाती है तो सहाय ता करने से मुंह मोड़ लेते हो.य ही नहीं दुख को और बढ़ाते हो.
- जबरन आरोप यिों लगा रहे हो .मैंने ऐसे कब किया ?.
भरत के पूछने पर राम ने बताया- लो प्रमाण देता हूं...जब लक्ष्मण को शIिबाण लगा था तो हनुमान को मैंने दवाई लाने भेजावह हिमाच ल प्रदेश से संजीवनी ला रहा था तो तुमने मार कर गिराया था कि नहीं..।
राम के द्वारा गलती पकड़े जाने पर भरत नवर्स हुए.उन्होंने क्षमा मांगते हुए कहा- भैया पिछली बातों को भूल जाइये.और अभी यिा करनी है बताइये.
राम ने बताया- मैं लंका सेसोना ला रहा हूं.इसकी जानकारी कस्टम विभाग को हो गयी है.उसने मुझे पकड़ने के लिए जाल बिछाया है.य दि माल बरामद हो गयी तो बड़ी बदनामी होगी.लोग मेरी पूजा करने से कतरायेंगे.
- आप ठीक कह रहे हैं.आपने इस च क्रव्यूह से बच ने के लिए कौन सा उपाय सोचा है.
- त्य ौहार मनाने के लिए आज का अवकाश दे दो.
भरत ने पूछा- छुuी देने से कमर्चारी काय र् छोड़ कर अपने घर च ले जायेगे तो राý¬ की उÛति में बाधा उपक्स्थत होगी कि नहीं ?
राम ने कहा- भाड़ में जाये राý¬ की उÛति.मैं य ही तो चाहता हूं कि कमर्चारी काय र्स्थल पर न रहे.ताकि मैं सोना को लेकर सुरक्षित राजमहल पहुंच जाऊं.
भरत ने बड़े भाई के आज्ञा को शिरोधाय र् कर तत्काल दीपावली अवकाश की घोषणा कर दी.