छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य ( गरीबा ) के प्रथम रचनाकार श्री नूतन प्रसाद शर्मा की अन्‍य रचनाएं पढ़े

शनिवार, 9 जुलाई 2016

एक गीत सुनावत हंव

नूतन प्रसाद

एक गीत सुनावत हंव, एक गीत सुनावत हंव।
सबले हटके थोरकुन, मंय बात बतावत हंव।।

मोर गीत मं बनवारी के, नइहे बंसुरी के आवाज,
एमां रोना हे, गरीब के, जेन रखे हे देस के लाज।
का खाथे का पीथे ओढ़त, देखे ला जावत हंव।
एक गीत सुनावत हंव .......।

ओ राधा गगरी मं पानी, बस अपने घर बर ले आय,
ए राधा के गगरी के जल, सब झन पी के प्‍यास बुझाय।
एकर धरम के आगू मं मंय, मुड़ी झुकावत हंव।
एक गीत सुनावत हंव .......।

ओ सीता हा पति संग जा के, दहपट बन मं दुख अमरैस,
ए सीता हा पर के दुख ला, देख के आंसू ला छलकैस।
एकर करलई देख के मंहू हा, आंसू ढारत हंव।
एक गीत सुनावत हंव .......। 

राम लख्‍ान मन राजभवन मं, खेल करिन हें करके नेह,
ए नान्‍हें मन खोर मं किंजरत, चिखला ला चुपरत हें देह।
इंकरे संग माटी लददी मं, मंहू बोथावत हंव।
एक गीत सुनावत हंव .......। 

मोर गीत मं राजा - रानी नइये कोनो कथा महान,
एमा उंकरे गाथा हवै, जेहर ए मजदूर किसान।
ओ किसान के धुर्रा ला मंय मुड़ी मं नावत हंव।
एक गीत सुनावत हंव .......।

पता
भण्‍डारपुर ( करेला )
पोष्‍ट - ढारा, व्‍हाया - डोंगरगढ़
जिला - राजनांदगांव ( छत्‍तीसगढ़ )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें