मंय छत्तीसगढ़ी म '' महाकाव्य '' काबर लिखेव ?
आज आप ल जउन कहिना हे, एक वाक्य म कहो।
समे “गागर म सागर” भरे के हे। आप बड़े ले बड़े बात ल नानकून म कहि सकिथौ।
मतलब मनखे के मेर समे नई हे। न सुने, के न कहे अउ न पढ़े के। पर मंय सब जान
सुन के बड़ेजान किताब लिखेवं। अब एकर कारन का बताववं? दुनिया बहुत बड़े
हे। ऐकर प्रश्न उलझे अउ जटिल हे। जेकर जुवाब नानकून विधा म नई दे जा सकै।
ऐकरे सेती मंय हर महाकाव्य लिखेवं।
मंय सुरु हिन्दी म महाकाव्य लिखे बर करे रहेंव। पर सोचेंव – छत्तीसगढ़ी म महाकाव्य के अभाव हे। अउ फेर मंय छत्तीसगढ़ी म लिखे लगेंव।
आन महाकाव्य मन म लड़ई, झगरा, मार काट बताये गे हे । खलनायक के प्रान नई बाचै। मंय ” गरीबा ” ल एकर ले दूरिहा रखें हवं। मंय हिंसा से नई , अहिंसा से समाज म कइसे बदलाव आही ऐला बताय के उदिम करे हवं । आन महाकाव्य म जाति के बियाख्या हे, ओकर महत्ता, श्रेष्टता- निम्रता बताये गेहे। निरवा वर्गबद्ध नई हे। नायक अउ खलनायक हवै। खलनायक के निंदा चारी करे गे हे। ओकर हंसी अउ हतिया होय हे। नायक के परसंसा अउ जीत होय हे। गांव के संस्कृति,जनजीवन के दृष्य के अभाव हे। पर मोर महाकाव्य म कोनो मेर जाति के उल्लेख नई हे। पूरा वर्गबद्ध हे। हर मनखे म गुन अउ अवगुन होथे। ऐकरे सेती कोनो पूरा न नायक हे न खलनायक। जिंहा मोर महाकाव्य के परमुख पात्र ” गरीबा ” के गुन अवगुन बताये गेहे उहे ” धनवा ” के घलोक। गरीबा के पूजा – स्तुति नई होय हे, न धनवा के हतिया। बल्कि धनवा बाद म गांव बिकास के सहयोगी बन जाथे। मंय अपन महाकाव्य म गांव के गांव के संसकिरति, जीवनशैली, ल बचाये के उदिम करे हवं।
छत्तीसगढ़ के क्षेत्र बहुत बड़े हे पर छत्तीसगढ़ी ल भासा के दरजा नई मिल पाय हे। ऐकर सेती छत्तीसगढ़ी साहित के भरपूर नई होना बातये जाथे। छत्तीसगढ़ी साहित्य के कमी ल पूरा करे बर, छत्तीसगढ़ी ल भासा के दरजा देवाय बर एक छोटकून परयास करे हवं। ऐकरे सेती छत्तीसगढ़ी महाकाव्य लिखे हवं।
छत्तीसगढ़ी के बिकट अकन सब्द ” डोडो ” चिरई अउ ” डोडो ” पेड़ जइसे गंवात जावत हे। मंय उन सब्द मन ल बचाये के परयास करे हवं।
आन महाकाव्य मन ल सर्ग म, काण्ड म, अध्याय म लिखे गे हे। मयं हर गरीबा महाकाव्य ल पांत म बाटेंव। काबर के छत्तीसगढ़ किसान के राज आवय। ” धान के कटोरा ” कहे जाथे अउ जब किसान धान बोये ल जाथे तब हरिया धर खेत म नांगर जोतथे अउ फसल काटे ल खेत जाथे तब ओहर ” पांत ” बनाके अपन काम ल पूरा करथे। महू हर अपन ” गरीबा ” महाकाव्य ल ” पांत ” म बांट के पूरा करे के उदिम करे हवं।
मोर लिखे छत्तीसगढ़ी ” गरीबा ” आप मन ल बने लगही, आप मन ऐला पढ़हू तब आप अपन आप ल ” गरीबा ” महाकाव्य के कोनो न कोनो पात्र के रुप म देखहू। गरीबा के गांव ल अपनेच गांव असन अनुभव करहूं, अइसे मोर बिचार हे। ” छत्तीसगढ़ी भासा ” ल घलोक ” राजकाज ” के भासा बनाये म ऐकर कुछू न कुछू योगदान रही अइसनो मोर बिचार हे। पढ़ के अवश्य आप मन अपन रायशुमारी देवव।
मंय सुरु हिन्दी म महाकाव्य लिखे बर करे रहेंव। पर सोचेंव – छत्तीसगढ़ी म महाकाव्य के अभाव हे। अउ फेर मंय छत्तीसगढ़ी म लिखे लगेंव।
आन महाकाव्य मन म लड़ई, झगरा, मार काट बताये गे हे । खलनायक के प्रान नई बाचै। मंय ” गरीबा ” ल एकर ले दूरिहा रखें हवं। मंय हिंसा से नई , अहिंसा से समाज म कइसे बदलाव आही ऐला बताय के उदिम करे हवं । आन महाकाव्य म जाति के बियाख्या हे, ओकर महत्ता, श्रेष्टता- निम्रता बताये गेहे। निरवा वर्गबद्ध नई हे। नायक अउ खलनायक हवै। खलनायक के निंदा चारी करे गे हे। ओकर हंसी अउ हतिया होय हे। नायक के परसंसा अउ जीत होय हे। गांव के संस्कृति,जनजीवन के दृष्य के अभाव हे। पर मोर महाकाव्य म कोनो मेर जाति के उल्लेख नई हे। पूरा वर्गबद्ध हे। हर मनखे म गुन अउ अवगुन होथे। ऐकरे सेती कोनो पूरा न नायक हे न खलनायक। जिंहा मोर महाकाव्य के परमुख पात्र ” गरीबा ” के गुन अवगुन बताये गेहे उहे ” धनवा ” के घलोक। गरीबा के पूजा – स्तुति नई होय हे, न धनवा के हतिया। बल्कि धनवा बाद म गांव बिकास के सहयोगी बन जाथे। मंय अपन महाकाव्य म गांव के गांव के संसकिरति, जीवनशैली, ल बचाये के उदिम करे हवं।
छत्तीसगढ़ के क्षेत्र बहुत बड़े हे पर छत्तीसगढ़ी ल भासा के दरजा नई मिल पाय हे। ऐकर सेती छत्तीसगढ़ी साहित के भरपूर नई होना बातये जाथे। छत्तीसगढ़ी साहित्य के कमी ल पूरा करे बर, छत्तीसगढ़ी ल भासा के दरजा देवाय बर एक छोटकून परयास करे हवं। ऐकरे सेती छत्तीसगढ़ी महाकाव्य लिखे हवं।
छत्तीसगढ़ी के बिकट अकन सब्द ” डोडो ” चिरई अउ ” डोडो ” पेड़ जइसे गंवात जावत हे। मंय उन सब्द मन ल बचाये के परयास करे हवं।
आन महाकाव्य मन ल सर्ग म, काण्ड म, अध्याय म लिखे गे हे। मयं हर गरीबा महाकाव्य ल पांत म बाटेंव। काबर के छत्तीसगढ़ किसान के राज आवय। ” धान के कटोरा ” कहे जाथे अउ जब किसान धान बोये ल जाथे तब हरिया धर खेत म नांगर जोतथे अउ फसल काटे ल खेत जाथे तब ओहर ” पांत ” बनाके अपन काम ल पूरा करथे। महू हर अपन ” गरीबा ” महाकाव्य ल ” पांत ” म बांट के पूरा करे के उदिम करे हवं।
मोर लिखे छत्तीसगढ़ी ” गरीबा ” आप मन ल बने लगही, आप मन ऐला पढ़हू तब आप अपन आप ल ” गरीबा ” महाकाव्य के कोनो न कोनो पात्र के रुप म देखहू। गरीबा के गांव ल अपनेच गांव असन अनुभव करहूं, अइसे मोर बिचार हे। ” छत्तीसगढ़ी भासा ” ल घलोक ” राजकाज ” के भासा बनाये म ऐकर कुछू न कुछू योगदान रही अइसनो मोर बिचार हे। पढ़ के अवश्य आप मन अपन रायशुमारी देवव।
तुहंर
नूतन प्रसाद शर्मा
10 मार्च 1996
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