छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य ( गरीबा ) के प्रथम रचनाकार श्री नूतन प्रसाद शर्मा की अन्‍य रचनाएं पढ़े

गुरुवार, 14 जुलाई 2016

घाटा

दो व्य Iि लड़ रहे थे.कभी एक  पटकनी खाता तो कभी दूसरा.तीसरा दूर से लड़ाई देखते उकता तो पास आया. पूछा - यिों लड़ रहे हो ? कोई कारण भी तो होगा ?
लड़ाकों ने तीसरे को देखा तो उनकी आंखें च मक उठीं.वे रामपुरी चाकू दिखाते हुए गुरार्ये -निकालों घड़ी वरना चाकू पेट में उतर जायेगी.
तीसरे ने घबराकर घड़ी दे दी.लड़कों ने माल जÄ कर कहा - हां, अब हम बता सकते हैं अपना परिच य  - हम चोर हैं . हम दो हैं पर घड़ी सिफर् एक.लड़ इसलिए रहे थे कि घड़ी कौन रखे ? लेकिन शुक्र हो ऊपर वाले का जिसने तुम्हें भेज दिया.अब हम एक एक रख लेंगे .
इतना कह उन दोनों ने एक एक घड़ी कलाई में बांध ली.तीसरा हाथ मलता वापस हुआ. 

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