सुगम रास्ता
इन दिनों मजदूर हड़ताल पर थे इसलिए कपड़ा - कारखाने के मालिक कंजूसमल बड़ी परेशानी में थे.मालिक और मजदूरों के बीच बातचीत हुई लेकिन कोई हल न निकला.हार कर कंजूसमल कृष्ण के पास पहुंचे.बोले - प्रभु, अब हम आपके राज्य में नहीं रहना चाहते.
कृष्ण ने पूछा - यिों, यिा बात हो गई ?मैंने तो तुम्हें कभी कोई क्र नहीं दिया ?
- आपने नहीं दिया लेकिन मजदूर तो हड़ताल कर रहे हैं.वे काम पर नहीं आ रहे हैं अपितु कारखाने को जलाकर भस्म करने की धमकी भी दे रहे हैं.
- उनका कदम ठीक है. तुम उन्हें वेतन कम यिों देते हो?भूखा रहकर कोई कब तक काम कर सकता है.
- आप भी उनका पक्ष लेने लग गये.आप चुनाव लड़ते हैं तो रूपये देने पड़ते हैं.अधिकारियों को भी मनाना पड़ता है.साथ ही हमारे भी तो बाल बग्े हैं.अब आप ही बताइयेे मजदूरों की मांगे कैसे पूरी करें ?
- मुझे च लाते हो.मुझे सब ज्ञात है कि तुम कितने बेईमान हो.श्रमिकों का खून पीते हो और उन्हीं की शिकाय त कर रहे हो.मैं कुछ नहीं जानता.उनकी मांग पूरी करनी होगी.
कंजूसमल को बहुत क्रोध आया पर चालाक उद्योगपति थे अत: वे क्रोध को पी गये.बोले - आप दूसरों को उपदेश देते हैं लेकिन स्वयं अमल नहीं करते.य दि आपसे ही कहे कि अपनी कुसी र्हमें दे दीजिये तो मान जायेंगे ?
कृष्ण ने कहा - नहीं....।
- तो हम पर ही दबाव यिों डाल रहे हैं.अगर मजदूर हम समान हो गये तो हमारा वच र्स्व समाय् हो जायेगा इसलिए मजदूरों पर दबाव डालिए ताकि वे काम पर आयें.
कृष्ण सोच में पड़ गये.वास्तव में वे समाजवाद को भाषण तक ही सीमित रखना चाहते थे.उनने मजदूरों को बुलवाया और कहा - यिों भाई, तुम हड़ताल यिों कर रहे हो ?
मजदूर जानते थे कि कृष्ण उनका भरण पोषण नहीं करते फिर भी हाथ जोड़कर बोले - अझ्दाता, कंजूसमल का जैसा नाम है वैसा उनका काम है.वे हमें पयायर्् मजदूरी नहीं देते.
कृष्ण भड़के - तो तुम चाहते हो कि सभी लाभ तुम्हें देकर वह कंगाल हो जाये.
- अरे ,आप तो कंजूसमल का ही पक्ष ले रहे हैं. अगर ऐसा है तो हम उनके कारखाने में काम करने कभी जायेंगे ही नहीं.
- मत जाओ....।
- बात करने से कु छ नहीं होता.अगर हम काम बंद कर देंगे तो कपड़ा कौन बिनेगा.लोग अपनी इघ्त किससे ढ़ंकेंगे.
- मैं कपड़ों की सप्लाई करूंगा.तुम लोगों ने सुना भी होगा कि दुयोर्धन बीच सभा में द्रोपती को निवर्थ करने वाला था लेकिन मैंने कपड़ों का अम्बार लगा दिया.य दि तुम भी काम पर नहीं जाओगे तो कपड़े की पूति र्मैं करूंगा....। फिर बोले - जवाब दो, तुम्हें काम पर पुन: जाना है या नहीं...?
मजदूरों ने एक दूसरे को देखा.उनके पास काम में उपक्स्थत होने के सिवा दूसरा न था.वे उसी समय कारखाना पहुंचे और पसीना बहाने लगे.
इन दिनों मजदूर हड़ताल पर थे इसलिए कपड़ा - कारखाने के मालिक कंजूसमल बड़ी परेशानी में थे.मालिक और मजदूरों के बीच बातचीत हुई लेकिन कोई हल न निकला.हार कर कंजूसमल कृष्ण के पास पहुंचे.बोले - प्रभु, अब हम आपके राज्य में नहीं रहना चाहते.
कृष्ण ने पूछा - यिों, यिा बात हो गई ?मैंने तो तुम्हें कभी कोई क्र नहीं दिया ?
- आपने नहीं दिया लेकिन मजदूर तो हड़ताल कर रहे हैं.वे काम पर नहीं आ रहे हैं अपितु कारखाने को जलाकर भस्म करने की धमकी भी दे रहे हैं.
- उनका कदम ठीक है. तुम उन्हें वेतन कम यिों देते हो?भूखा रहकर कोई कब तक काम कर सकता है.
- आप भी उनका पक्ष लेने लग गये.आप चुनाव लड़ते हैं तो रूपये देने पड़ते हैं.अधिकारियों को भी मनाना पड़ता है.साथ ही हमारे भी तो बाल बग्े हैं.अब आप ही बताइयेे मजदूरों की मांगे कैसे पूरी करें ?
- मुझे च लाते हो.मुझे सब ज्ञात है कि तुम कितने बेईमान हो.श्रमिकों का खून पीते हो और उन्हीं की शिकाय त कर रहे हो.मैं कुछ नहीं जानता.उनकी मांग पूरी करनी होगी.
कंजूसमल को बहुत क्रोध आया पर चालाक उद्योगपति थे अत: वे क्रोध को पी गये.बोले - आप दूसरों को उपदेश देते हैं लेकिन स्वयं अमल नहीं करते.य दि आपसे ही कहे कि अपनी कुसी र्हमें दे दीजिये तो मान जायेंगे ?
कृष्ण ने कहा - नहीं....।
- तो हम पर ही दबाव यिों डाल रहे हैं.अगर मजदूर हम समान हो गये तो हमारा वच र्स्व समाय् हो जायेगा इसलिए मजदूरों पर दबाव डालिए ताकि वे काम पर आयें.
कृष्ण सोच में पड़ गये.वास्तव में वे समाजवाद को भाषण तक ही सीमित रखना चाहते थे.उनने मजदूरों को बुलवाया और कहा - यिों भाई, तुम हड़ताल यिों कर रहे हो ?
मजदूर जानते थे कि कृष्ण उनका भरण पोषण नहीं करते फिर भी हाथ जोड़कर बोले - अझ्दाता, कंजूसमल का जैसा नाम है वैसा उनका काम है.वे हमें पयायर्् मजदूरी नहीं देते.
कृष्ण भड़के - तो तुम चाहते हो कि सभी लाभ तुम्हें देकर वह कंगाल हो जाये.
- अरे ,आप तो कंजूसमल का ही पक्ष ले रहे हैं. अगर ऐसा है तो हम उनके कारखाने में काम करने कभी जायेंगे ही नहीं.
- मत जाओ....।
- बात करने से कु छ नहीं होता.अगर हम काम बंद कर देंगे तो कपड़ा कौन बिनेगा.लोग अपनी इघ्त किससे ढ़ंकेंगे.
- मैं कपड़ों की सप्लाई करूंगा.तुम लोगों ने सुना भी होगा कि दुयोर्धन बीच सभा में द्रोपती को निवर्थ करने वाला था लेकिन मैंने कपड़ों का अम्बार लगा दिया.य दि तुम भी काम पर नहीं जाओगे तो कपड़े की पूति र्मैं करूंगा....। फिर बोले - जवाब दो, तुम्हें काम पर पुन: जाना है या नहीं...?
मजदूरों ने एक दूसरे को देखा.उनके पास काम में उपक्स्थत होने के सिवा दूसरा न था.वे उसी समय कारखाना पहुंचे और पसीना बहाने लगे.
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