नूतन प्रसाद
पानी पानी पानी जघा जघा होगे पानी ।
दुबी असन हरियर होगे सबके जिनगानी।।
कते खोंदरा मं बइठे रिहीस हावय बइहा बादर
बूता के बेरा मं आगे दीखत करिया काजर .
बादर अउ बादर मं देखो माते हे लड़ाई
दू झन के झगरा मं होही तीसर के भलाई .
हम अइसन बेरा नइ छोड़न,करबो जी किसानी ।
पानी पानी पानी जघा जघा होगे पानी ।।
बरसा रानी रझरझ आवत स्वागत करो संगी
उत्ता धुर्रा पानी देही भाग जाही भिखमंगी .
बिजली चमचम चमकत हे,बाजत इंदर के बाजा
इकर भरोसा तीन परोसा,हम मन बनबो महाराजा .
ऐ कर ले बढ़के नइ हे कोनो ये दुनिया मं दानी ।
पानी पानी पानी जघा जघा होगे पानी ।।
टेटका मेचका सांप डेढ़ूं खूशी मं नाचत हे
रूख के पाना - डार गाना ल गावत हे .
पियास के मारे मरत रिहीन डबरा नदिया नरवा
हाय हाय चिल्लावत रिहीन छानी छत अउ परवा .
सबके पियास बुझागे तहां ले मारत हे फुटानी ।
पानी पानी पानी जघा जघा होगे पानी ।।
बेर के डर मं चिरइ चुरगुन छइहां - छइहां भागे
अब तो गंगा - जमुना, रद्दा - गली मं बोहागे .
पंछी मन नाहवत खनी बेर ल मारे ताना
हम्मर का कर लेबे तंय अब सेखी बताना .
हमला खो - खो के भुंजे हस अड़बड़ अभिमानी ।
पानी पानी पानी जघा जघा होगे पानी ।।
नान्हें लइका ल कोरा मं राखय धरती माता
घेरी - बेरी दुलारत हे, चुमत हे माथा .
अइसन मया देख के चंदा खोजत हे चंदैनी
चंदा हा घर बइठे , बांधत हे चंदैनी के बेनी .
काम बुता ल छोड़ छुड़ी के कहत हे कहानी ।
पानी पानी पानी जघा जघा होगे पानी ।।
पंखी ल छत्ता अस फइला मंयूर करत हे मस्ती
भुइयां हर महमहावत अइसे, जइसे चंदन उदबत्ती .
पानी पानी धुर्रा होगे,चिखला बांधत भारा
पानी के मारे पानी भरत,ये दे घाम बिचारा .
बात के पानी लागिस तब पानी बरसत जस दानी ।
पानी पानी पानी जघा जघा होगे पानी ।।
भण्डारपुर ( करेला )
पानी पानी पानी जघा जघा होगे पानी ।
दुबी असन हरियर होगे सबके जिनगानी।।
कते खोंदरा मं बइठे रिहीस हावय बइहा बादर
बूता के बेरा मं आगे दीखत करिया काजर .
बादर अउ बादर मं देखो माते हे लड़ाई
दू झन के झगरा मं होही तीसर के भलाई .
हम अइसन बेरा नइ छोड़न,करबो जी किसानी ।
पानी पानी पानी जघा जघा होगे पानी ।।
बरसा रानी रझरझ आवत स्वागत करो संगी
उत्ता धुर्रा पानी देही भाग जाही भिखमंगी .
बिजली चमचम चमकत हे,बाजत इंदर के बाजा
इकर भरोसा तीन परोसा,हम मन बनबो महाराजा .
ऐ कर ले बढ़के नइ हे कोनो ये दुनिया मं दानी ।
पानी पानी पानी जघा जघा होगे पानी ।।
टेटका मेचका सांप डेढ़ूं खूशी मं नाचत हे
रूख के पाना - डार गाना ल गावत हे .
पियास के मारे मरत रिहीन डबरा नदिया नरवा
हाय हाय चिल्लावत रिहीन छानी छत अउ परवा .
सबके पियास बुझागे तहां ले मारत हे फुटानी ।
पानी पानी पानी जघा जघा होगे पानी ।।
बेर के डर मं चिरइ चुरगुन छइहां - छइहां भागे
अब तो गंगा - जमुना, रद्दा - गली मं बोहागे .
पंछी मन नाहवत खनी बेर ल मारे ताना
हम्मर का कर लेबे तंय अब सेखी बताना .
हमला खो - खो के भुंजे हस अड़बड़ अभिमानी ।
पानी पानी पानी जघा जघा होगे पानी ।।
नान्हें लइका ल कोरा मं राखय धरती माता
घेरी - बेरी दुलारत हे, चुमत हे माथा .
अइसन मया देख के चंदा खोजत हे चंदैनी
चंदा हा घर बइठे , बांधत हे चंदैनी के बेनी .
काम बुता ल छोड़ छुड़ी के कहत हे कहानी ।
पानी पानी पानी जघा जघा होगे पानी ।।
पंखी ल छत्ता अस फइला मंयूर करत हे मस्ती
भुइयां हर महमहावत अइसे, जइसे चंदन उदबत्ती .
पानी पानी धुर्रा होगे,चिखला बांधत भारा
पानी के मारे पानी भरत,ये दे घाम बिचारा .
बात के पानी लागिस तब पानी बरसत जस दानी ।
पानी पानी पानी जघा जघा होगे पानी ।।
भण्डारपुर ( करेला )
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