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बुधवार, 13 जुलाई 2016

हरेली

नूतन प्रसाद

आओ आओ गा किसान आओ गा बनिहार ।
जुरमिल के मनाबो संगी हरेली तिहार ।।

कूद-कूद के मानेन अब तक होरी देवारी
एको कनिक करिस नइ हिनहर के चि न्हारी.
चेतो अब छोड़ो जी पहिली के व्य वहार ।
आओ आओ............................।।

तेल डार के दीया बारेन हमरे तेल निकालिस
पीरा ल हरे के बल्दा ऐक्ल्हस हे निखालिस.
मांगेन जगमग उजियार उल्टा बांटिस अंधियार।
आओ आओ..................................।।

होले ल जलाये बर जलायेन जम्मों डोंगरी
अब काला जलान भागगे जांघ असन मोंगरी.
नैया ल डूबोये हन हमी डंडवार ।
आओ आओ............................।।

हार नइ मानन कभू हरिय र मन हे
हरिय र हरिय र भुइयां हवय  हरिय र पटवा सन हे.
हरिय र कोदो धान त काबर होही हाहाकार।
आओ आओ.............................।।

हरेली तिहार आय  किसान मन के भारी
खैरकाडांड़ मं जाथे सब झन धरके थारी.
गाय  गरू ल लोंदी देके करथे नमस्कार ।
आओ आओ..........................।।

दसमुन अउ डोंडों कांदा राउत डोंगरी ले लाथे
हाड़ी मं उसन के पानी गरूवा ल पीयाथे.
कांदा कुसा देखके मुंह ले गिरे ल धरथे लार ।
आओ आओ..............................।।

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