नूतन प्रसाद
दशरथ जनकपुर पहुंच चुके थे.विश्वामित्र को मालूम पड़ा.वे उनके पास आये.बोले - '' आपके लड़के बड़े वीर है.देखिये न राम ने शिव - धनुष को एक झटके में तोड़ दिया.''
दशरथ विश्वामित्र के ऊपर खार खाये थे.भड़के - '' आप विश्व के मित्र हैं मगर मेरे दुश्मन हैं.मेरे लड़कों से तोड़ - फोड़ करवा रहे हैं.वे कहां है, इसी वक्त उपस्िथत कीजिये।''
विश्वामित्र ने कहा - '' अरे, मैंने ही आपके लड़कोें की शादी पक्की की.आपको आभार मानना चाहिए मगर ऐसे बरस रहे हैं मानों मैंने कोई अनर्थ कर डाला.''
दशरथ ने कहा - '' अनर्थ ही हुआ है.मैं पूछता हूं शादी को स्वीकृति देने वाले आप कौन होते हैं.लड़के मेरे हैं उनके भविष्य की चिंता मुझे है.मैं थाने में रिपोर्ट करूंगा कि मेरे लड़कों का अपहरण विश्वामित्र ने कर लिया है.''
विश्वामित्र को काटो तो खून नहीं.वे जनक के पास दौड़े.वस्तु स्िथति बतलायी तो जनक आकर दशरथ की शरण में गिरे. मिमियाये- '' समधी जी,नाराज क्यों हो रहे हो ! मैं अगवानी करने स्वयं आ रहा था.शादी - ब्याह का मामला है, देर हो ही जाती है.''
दशरथ उन पर भी सवार हुए - '' किसकी शादी, किसका ब्याह ! मुझे नहीं करनी है अपने लड़कों की शादी.मुझे वापस जाना है.''
जनक पर गाज गिर गया.बोले - '' अगर आप वापस हो गये तो मेरे मुंह पर कालिख पुत जायेगा.लोग लड़कियों के चरित्र पर संदेह करेगें.मैं बर्बाद हो जाऊंगा.''
दशरथ ने कहा - '' आप मुफ्त में दामाद पा रहे हैं तो मैं भी बर्बाद हो रहा हूं....अभी तक आपने न मार्ग व्यय भेजा न टीका और तो और दहेज की सूची भी अप्राप्त है.''
- '' क्या आप दहेज मांग रहे हैं....?''
दशरथ - मैं क्यों मांगने चला ! लड़कों की योग्य ता मांग रहा है...वे कभी अनुत्तीर्ण नहीं हुए.उनका नाम सदैव प्रावीण्य सूची में जगमगाया.अगर दहेज नहीं मिला तो लोग छींटाकशी करेंगे कि दशरथ के लड़के अयोग्य हैं.गुणहीन हैं. प्रतिष्ठा का प्रश्न है.आपको दहेज देना पड़ेगा,वरना शादी कैंसिल ।'' जनक बहुत गिड़गिड़ाये मगर दशरथ अपने हठ पर अडिग रहे.मरता क्या नहीं करता.जनक ने इतना दहेज दिया कि '' कहि न जाइ कछु दाइज भूरी... वस्तु अनेक करिअ किमि लेखा...।'' दहेज लूट कर दशरथ मूंछें ऐंठ रहे थे कि पुरोहित शतानन्द ने कहा - '' देर क्यों कर रहे हैं.समधी मिलन का समय नौ - दो ग्यारह होने जा रहा है ?''
दशरथ ने जनक को अपनी ओर खींचा.कहा - '' देर तो समधी की ओर से हो रही है.मैं उनसे मिलने कब से तड़प रहा हूं....।''
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