छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य ( गरीबा ) के प्रथम रचनाकार श्री नूतन प्रसाद शर्मा की अन्‍य रचनाएं पढ़े

मंगलवार, 9 अगस्त 2016

आभा मार के बलाये तंय

गोपाल साहू

आभा मार के बलाये तंय मयं दउड़े चले आयव
तोर सुघ्घर चेहरा , मंय चिनह  नई पायव

मंय नई जानेव मीठ लबारी ये कहिके
निरवा लबारी ये कहिके,
तरिया पार आय  तयं हर मोरे घटोंदा मं
छम - छम पायजेब बजाये अउ बेनी ल हलाये
मुसुर - मुसुर देखके मोला मुसकाये
मंय  फंस गेंव बिन सेाचे जाने तोर फंदा मं

मोला भरमाय  अपन बनाहू कहिके
कसम किरिया खाये जिनगी बिताये के
संझा - संझा आहू कहिके , रात भर नइ जगाय
तोरे संग मिले बर मयं हर , सारा दिन गंवायेव
मही जान मुंहू लगायवं , ओहर निकलगे दूध
पी डरेंव गटगटाके,पी नइ पायेव मंय  फूंक  फूंक
धन ल देखे तयं मोर , मोही डारे मन ला
अब मंय  समझ पायवं , उलटगे कोठी मोर
अउ भरगे अंचरा तोर,
त '' गोपाल '' रोवय  खोरे- खोर
मयं का जानेवं झूठ लबारी आय  कहिके
निरवा लबारी ये कहिके.   

पता
भण्‍डारपुर ( करेला )
पोष्‍ट - ढारा, व्‍हाया - डोंगरगढ़
जिला - राजनांदगांव ( छत्‍तीसगढ़ )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें