छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य ( गरीबा ) के प्रथम रचनाकार श्री नूतन प्रसाद शर्मा की अन्‍य रचनाएं पढ़े

मंगलवार, 9 अगस्त 2016

अब खेलबो मया के मधुबन मं

नान नान रेहेन त बनायेन घरबुंदिया।
अब खेलबो मया के मधुबन मं जहुरिया।।
तोर दिये चुना रे, मोर दिये पान
अरगसनी मा टांग देबो दोनो के परान
आजा - आजा राजा रद्दा जोहत हो तोर

आहूं - आहूं रानी सुरत आवत हे तोर
तोर संग रहिना तोर संग जीना
रहि न सकव रानी मंय  तोर बीना
आंखी मं बसायेंव रानी चेहरा ल तोर
आजा - आजा राजा रद्दा जोहत हो तोर

ननपन के तोर मोर मया हर बंधागे
दाई - ददा के माया ह अब तो नंदागे
बनाबो जे घर बुंदिया,नइ उजारन राजा
तयं मोर फूलगोंदा,मंय  तोर चमेली
मंय  हर बनगेव अब ,तोर संगी सहेली
कहे '' गोपाल '' जिनगी पहाना हे राजा

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