नूतन प्रसाद शर्मा
अब तो जम्मों विश्व ल परिवार बनाना हे।
एके संग एक जगा मं एक थारी म खाना हे।।
दृष्टिकोण ल बड़े बना के , जुरमिल चलबो संगी।
भेदभाव के रावन मरही, प्रेम के खुलही आँखी।।
मितवा के अमृत बांटे बर घर - घर जाना हे।
अब तो जम्मों विश्व ल परिवार बनाना हे।।
दू ठन विश्व युद्ध देखे हन, देखेन बड़े लड़ाई।
अपने भाई ल मारे हन, होइस कहां भलाई।
विश्व युद्ध के खतरा ल अब दूर भगाना हे।
अब तो जम्मों विश्व ल परिवार बनाना हे।।
जउन घर म मुड़ी लुकातेन, ओला राख बनायेन।
दूध के बदला एक दूसर ल भर भर जहर पियायेन।।
पहिली गलती होगे तेला नइ दुहराना हे।
अब तो जम्मों विश्व ल परिवार बनाना हे।।
अलग - अलग रद्दा ल अब हम, चौररद्दा मं लाबो।
कुथा - कुथा अस राग हे, तेला एक राग म गाबो।।
एक्के सुर मं चैन के बंसी खूब बजाना हे।।
अब तो जम्मों विश्व ल परिवार बनाना हे।
पता
ग्राम भंडारपुर (करेला)
पोष्ट- ढारा, तहसील -खैरागढ़
जिला - राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)
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