नूतन प्रसाद
पड़र पड़र मुंह ला मारे मं काम अब ले बनिस नही ।
गरजइया बादर ले पानी एको चुरवा गिरिस नहीं ।।
फोेकट बात करइया मनखे करत हे नास अपने काम।
गहूं के संग मं कीरा मरथे,पर ल रगर करत जय राम ।।.
कामचोर मन बात बात मं जल मं खोजत रहिथे दही ।
पड़र पड़र मुंह ला मारे मं काम अब ले बनिस नहीं ।।
काम करे बिन काम हा बनतिस तब काबर करतिन सब काम ।
खटिया सुत के गावत रहितिन,जय जय आलसीराम के नाम.।।
आलस खेती भलुवा खोथे-सच के झूठा बता तिहीं।
पड़र पड़र मुंह ला मारे मं काम अब ले बनिस नहीं ।।
हाथ मं हाथ धरे मं कोनो काम हाथ म नई आवय।
मुंह मारे मं मुंह देखे मुंह मं कौरा नइ जावय ।।
दौड़ धूप बिना सुजी बिचारी एको कपड़ा सी नहीं ।
पड़र पड़र मुुंह ला मारे मं काम अब ले बनिस नहीं ।।
पड़र पड़र मुंह ला मारे मं काम अब ले बनिस नही ।
गरजइया बादर ले पानी एको चुरवा गिरिस नहीं ।।
फोेकट बात करइया मनखे करत हे नास अपने काम।
गहूं के संग मं कीरा मरथे,पर ल रगर करत जय राम ।।.
कामचोर मन बात बात मं जल मं खोजत रहिथे दही ।
पड़र पड़र मुंह ला मारे मं काम अब ले बनिस नहीं ।।
काम करे बिन काम हा बनतिस तब काबर करतिन सब काम ।
खटिया सुत के गावत रहितिन,जय जय आलसीराम के नाम.।।
आलस खेती भलुवा खोथे-सच के झूठा बता तिहीं।
पड़र पड़र मुंह ला मारे मं काम अब ले बनिस नहीं ।।
हाथ मं हाथ धरे मं कोनो काम हाथ म नई आवय।
मुंह मारे मं मुंह देखे मुंह मं कौरा नइ जावय ।।
दौड़ धूप बिना सुजी बिचारी एको कपड़ा सी नहीं ।
पड़र पड़र मुुंह ला मारे मं काम अब ले बनिस नहीं ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें