छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य ( गरीबा ) के प्रथम रचनाकार श्री नूतन प्रसाद शर्मा की अन्‍य रचनाएं पढ़े

शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

न्‍याय

न्याय

       संयुक्‍त राज्‍य संघ के न्यायालय  के दरवाजे अभी खुले ही थे कि रावण हाहाकार करता आया .उसने विनती करी - त्राहि माम, मेेरी रक्षा करो .राम की सेनाएं लंका की सीमा पर अतिक्रमण करने ही वाली है.मेरे रा्ज्‍य ऊपर युद्ध का विमान मंडरा रहे हैं.बम गिरने ही वाला है.युद्ध विराम के लिए तत्काल कार्यवाही न हुई तो लंका पर राम का डंका बज जायेगा.''
       जूरी के सदस्य  हैरान रह गये.उन्होंने कहा कि यह हुआ कैसे ! कुछ दिन पूर्व राम ने स्वयं विश्व में शान्‍ित रखने सम्मेलन आहूत किया था.जिसमे सभी राज्‍यों के अधिकारों की रक्षा एवं निरस्त्रिकरण पर जोर दिया था.फिर वे संधि का अंतिम संस्कार करने पर क्‍यों तुले हैं ! यह रावण झूठा आरोप तो नहीं मढ़ रहा ?''
       बेतार यंत्र से राम तत्काल बुलाये गये.बलात युद्ध करने का कारण पूछा गया तो राम ने सफाई दी - गजब हो गया. चोर कोटवार को डांट रहा है.स्वयं रावण मेरे पिता के जमाने से अयोध्या पर आक्रमण करता आ रहा है.इसकी हड़प नीति की सीमा नहीं.इसने कुबेर के राज्‍य को छीना.अभी भी शनि दिग्पाल वगैरह इसके कैद में है. क्‍या यह विश्व शांति में बाधक नहीं ?''
       रावण ने अपना बचाव किया - राम का आरोप पूर्ण असत्य  एवं निराधार है.इन्होंने मारीच  एवं सुबाहु के राज्‍यों को अपने राज्‍य में मिलाया.आज विश्व के नक्‍से पर उनके राज्‍यों का नाम निशान नहीं है.पम्पापुर के राज्‍याध्य क्ष बालि का तीन सौ दो किया और सुग्रीव को गद्दी सौंप दी.गृहयुद्ध और आंतरिक तोड़ - फोड़ कराने में इनके समान दूजा न कोय  .मैं खुद परेशान हूं - विभीषण से. वह देश के साथ गद्दारी करने आतुर है.उसने लंका की सैनिक छावनियों,  कारखानों एवं नाजुक स्थलों की जानकारियां राम तक पहुंचा दी है.मेरे देश का हर राज राम जान गये हैं. क्‍या कहूं हुजूर, इनके राजदूत अंगद ने भरी सभा में मेरी बेइज्‍जती की.राजदूत का कर्तव्य  है कि वह राज्‍यों के आपसी संबंधों  में मधुरता लाये, मगर उसने जहर घोल दिया.''
       राम ने अमोघ चलाया - खुद रावण ने बैल को आमंत्रित किया कि आ और मुझे मार.मैंने अपने पी.ए.हनुमान को समझौते के लिए भेजा था मगर इसने उसकी इतनी दुगर्ति की कि वह आज तक अस्पताल में है.उसका ही बदला अंगद ने लिया.''
       हनुमान का नाम सुनते ही रावण रो पड़ा.कहा - पवन के बल ने ही तो मेरी लंका को राख में बदला है.हालत यह है कि '' बचा न नगर वसन घृृत तेला '' तो कपड़ों के  बिना लोगों को जबरन साधु और नागा बाबा बनना पड़ रहा है . खाने को तेल नहीं मिल रहा.पेट्रोल के बिना कार - मोटर साइकिलें सड़ रही हैं.यही नहीं हनुमान ने बाग - बगीचे, खेत- खलिहानो को भी तहस - नहस कर डाला.मेरे देश वासी अन्‍न के अभाव में भूखों मर रहे हैं . जल्द न्याय  हो वरना अंधेर हो जायेगा....।''
       जूरी के सदस्य  एक साथ चिंघाड़ उठे - हमारे पास देर है पर अंधेर नहीं.उन्होंने न्याय का तराजू मंगाया.राम - रावण को बिठाया.सच  - झूठ परखा.तत्पश्चात निर्णय  दिया - हमनें वादी - प्रतिवादी की झड़पें गंभीरता पूवर्क सुनीं.ये एक  - दूसरे    पर कीचड़ उछाल रहे हैं.राज्‍यों का आपस में तनाव एवं टांग खिंचाई विश्व शांति में बाधक है.विश्व को बचना है तो शांति चाहिए.शांति क्रांति से आयेगी.क्रांति के लिए संघर्ष जरूरी है......।
       राम - रावण का धैर्य  खत्म हो गया था.उनने बीच  में कहा - लम्बा - चौंड़ा हांकने की जरूरत नहीं.हमें बताइये, आखिर करें क्‍या ?''
सदस्यों ने न्याय  दिया - युद्ध....।''

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