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शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

पवित्र प्रेम

नूतन प्रसाद

       जी हां, मै उसी सुरेन्दर की बात कर रहा जिसने नारियों को स्वतंत्रता और सम्मान दिलाने के लिए सवर्प्रथम पान का बीड़ा चबुलाया था.वह जब कभी बलात्कार या नारी - दहन का समाचार सुनता.वह क्रोध से पागल हो जाता था.प्रतिशोध लेने बीहड़ में कूद जाने की ठान लेता था . आज नारियां सुरक्षित - सम्मानित है तो सुरेन्दर की बदौलत ?
       उदाहरण के लिए प्रस्तुति आवश्यक है तो एकदा सावित्री को कुछ लोग पत्थर से मार रहे थे.उनका तर्क था कि वह  पापिन है.इतने में सुरेन्दर का धूमकेतु की तरह आगमन हुआ.वह चिल्लाया - यह अबला है, सबला नहीं, इसलिए इसे सताओ. पत्थर से मारो, बंदूक से धूंकों .एटमबम पटक दो, पर मैं पूछता हूं - इस भीड़ में पापी कौन नहीं है ?
       लोगों ने अपने - अपने गिरेबाज झांककर देखे तो सभी पापी निकले.वे चुपचाप खिसक लिये. सावित्री ने कहा - भइया, तुमने इस बार मुझे बचा लिया.भविष्य  में और मुसीबत आई तो कौन सहायता देगा ?''
       सुरेन्दर ने आश्वस्त किया - बहन, मेरे रहते चिंता की चिता में जलने की आवश्यकता नहीं.कभी तुम पर अत्याचार हुआ तो मेरी पुकार करना.तुम्हारी रक्षा करूंगा. मैं दूसरों सा पापी थोड़े ही हूं.''
       सावित्री झूम उठी. वह गा पड़ी - भै़या,मेरी राखी के बंधन को निभाना....।'' उसने फर्र से साड़ी फाड़ी.सुरेन्दर की कलाई में सुशोभित किया.अब क्‍या था सुरेन्दर , सावित्री का धर्मभाई बन गया, सावित्री  सुरेन्दर की धर्म बहन.उस दिन के बाद से जब भी रक्षा बंधन का पर्व आता तो राखी बांधने और बंधवाने का कायर्क्रम सम्पन्‍न होता.आखिर उनमें पवित्र प्रेम जो था.
       इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन मैं उन दोनों के बीच  दाल - भात में मूसलचंद बन गया.मैंने सावित्री से कहा - सुरेन्दर घिस भाई लल्लू फोकट का चंदन है.राखी बंधवाता है.मिठाई खाता है पर देता कुछ नहीं.तुम इस बार राखी न बांधों जब तक वह जब तक सुख सुविधाएं एवं सुरक्षा का आश्वासन दे. भाई का कर्तव्‍य  है कि वह बहन की हर प्रकार से सहायता करें.
       सावित्री शर्म से लाजवन्ती बन गई.सुरेन्दर ने कहा - मैं अपने कर्तव्य  - पथ से डिगा ही कब हूं.तुम्हारे चोंच  मारने से पहले ही सावित्री को सब प्रकार की सुख - सुविधाएं प्रदान कर दी.अब तो वह गृहस्वामिनी है.जिस चीज की आवश्यकता होगी स्वयं निकाल लेगी.
       मैं चौंका'- छक्‍का लगाया - कैसी स्वामिनी, वह तो तुम्हारी धर्म बहन है.''
सुरेन्दर ने भ्रम तोड़ा - थी.. पर अब धमर्पत्नी है.धर्म ज्‍यों का त्यों है.सिर्फ बहन को पत्नी में बदला. उसने पूछा - है कोई मेरे समान नारियों का सम्मान करने वाला ?

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