छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य ( गरीबा ) के प्रथम रचनाकार श्री नूतन प्रसाद शर्मा की अन्‍य रचनाएं पढ़े

गुरुवार, 14 जुलाई 2016

गाड फादर

अभियंता से मिलने उसका मित्र आया.उसनेअभियंता के घर की  खस्ता हालात देखी.उसके नाक भौं सिकुड़ गये.बोला- आश्च य र्,घोर आश्च य र्.तुम तो गिनीज बुक में स्थान पाने लाय क हो.लोग निमार्ण विभाग में अभियंता हो मगर परलोक में आÛद लूटने के लिए तुम्हारे पास न कार है न टी.वी. न फ्रीज.
अभियंता ने कहा- भाई साहब ये सामान मुKतमेंंनहीं मिलते.इनके लिए रूपये चाहिए.वेतन से खरीदना मुश्किल है.उसे तो दाल-चांवल ही खींच  ले जाते हैं.
- अबे,वेतन को कौन कुत्ता पूछता है.तुम्हारे पास आय  के इतने स्त्रोत है कि तुम यिा न खरीद लो.रोना रो रहे हो.तुम चु„ू भर पानी में डूब मर यिों नही जाते?
अभियंता को मित्र की बात लग गई.वह घर से भागा.उसे चु„ू भर पानी नहीं मिला.वह रेल कीपटरी पर सो गया.इतने में पत्रकार नारद जी आये.ये जनाब अपने  धंधे में इतने माहिर थे कि दूसरे तो पहाड़ खोदने के बाद खबर की चूहिया नहीं निकाल पाते थे मगर ये पंच वन से शेर खिंच  लेते थे.नारद ने अभियंता से कहा-अरे..अरे ,इन पटरियों को सरकार ने परीक्षा में असफल होने वाले छात्रों के लिए बिछाई है.तुम अनाधिकार चेþा यिों कर रहे हो ,च लो उठो.
अभियंता ने कहा- बिल्कुल नहीं,मैं मरने आया हूं तो मर कर ही रहूंगा.
नारद बोले-वाह बेटा,तुम ऊपर जाकर मौन मनाओ मैं पड़ूं पुलिस के च Oर में .बताओ तो आखिर बात यिा है?
अभियंंता ने अपनी व्य था बतायी.नारद जी बोले-तुम्हारे मित्र ने ठीक ही कहा.वास्तव मेंएक इƒतदार आदमी को फटीच र के पास जाने में शमर् आयेगी ही.तुम भी लूटो पाटो और एक शरीफ इंसान की तरह रहो.नल-नील भी तो अभियंता है.यिा नहीं है उनके पास. आलीशान बंगला,बैंक बैलेंस,सब कुछ तो है.
अभिय न्ता ने कहा- मेरी भी इच्छा है कि शान से रहूं.मगर कमाने का तरीका जानूं तब तो ?
नारद ने कहा- हां,इसे मैं नहीं बता सकता.तुम और नल-नील एक ही विभाग के आदमी हो.उन्हीं से गुरूमंत्र ले लो.खग ही जानहि,खक की भाखा ।
अभिय न्ता नल-नील के पास गया.उनके जबरदस्त कारोबार को देखा तो आश्च य र् से आंखें फट गई.वह संगमरमर के फशर् पर  च ला तो फिसल कर गिर पड़ा.सोफे पर बैठा तो कई फीट ऊपर उछल गया.उसने कहा-सर,मैं लोगो के ताने से तंग आ गया हूं.वे कहते हैं उपरी कमाई करो.मगर ये धांधली कैसे की जाती है,मैं नहीं जानता.मुझे तरीका बताइये.ताकि मैं भी आपके समान  सभ्रांत नागरिक होने का दजार् पा सकूं.
नल-नील - अबे, य ह कौन सी बड़ी बात है.लोहा खाओ,सीमेंट खाओ.मजदूर को पेमेंट न करो.फिर देखो ,तुम्हारे  दिन कैसे फिरते है.
अभियंता ने कहा- मगर य ह तो बेईमानी होगी.
नल-नील के गुस्से का बांध ही टूट गया.भड़के-बेईमानी किसे कहते हैं,जानते हो.अगर फारेस्टर ने लकड़ियां नही चुरवाई तो वह वन विभाग के लिए बेईमान होगा.ए.ई.ओ. ने खाद -बीज नहीं खाया तो वह कृषि विभाग के लिए भ्रý होगा.अभियंता संघ की बैठक में य ह बात रखी जायेगी कि एक कतर्व्य हीन हमारे बीच  घूस आया है.वह लोक निमार्ण के प्रति वफादार नहीं है.इसलिए उसे दूध की मखिी बनाने के लिए एकजूट होकर प्रयास किया जाये.मेजाटी शुद्ध बी ग्रा·टेड का जमाना है.तुम धOे मार कर निकाल दिए जाओगे.तब यिा होगा?
अब तो अभियंता के पैर तले की जमीन खिसकी.बोले - सर,आप मुझ पर नहीं मेरे टिंचू-पप्पू पर रहम खाइये.मैं आपके कदमों पर दौड़ लगाने तैयार हूं.मगर फंस गया तो ?
नल-नील बोले - कैसे फसोगे.हमने तो बिना छड़-सीमेंट के हजारों पुल बनाकर बहा दिए मगर जरा भी आंच  नही आयी.तुम भी हमारी तरह चैन सिस्टम से फिKटी-फिKटी के सिद्धांत का पालन करो.साथ ही एक बात और राम कृपा बिनू सुलभ न होई... तुम पहले राम को पटा लो.फिर कोई तुम्हारा बाल भी बांका करे तो कहना.
अभियंता वहां से च ल पड़ा नल-नील के कदमों पर च लने. 

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