छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य ( गरीबा ) के प्रथम रचनाकार श्री नूतन प्रसाद शर्मा की अन्‍य रचनाएं पढ़े

गुरुवार, 14 जुलाई 2016

बारिस

बारिस
संसद का मानसून सत्र तूफानी गति से च ल रहा था.इस बार सदस्यों ने भद्रता से पेश आने की शपथ ली थी अत: जूते च प्पलों की बारिस नहीं हो रही थी.हां, सरकार और विरोधियों के बीच  जबानी पटका पटकी जरूर च ल रही थी.सरकार एक प्रश्न का उत्तर भी नहीं दे पाती थी कि विरोधी प्रश्नों की झड़ी लगा देते.य ही नहीं भंय कर गजर्ना के साथ आलोच ना करते तो सरकार पानी भी नहीं मांंग पाती थीअंतत: उसे पानी च ढ़ा तो वह विरोधियों के ऊपर गाज बन कर गिरी- कान का मैला साफ कर सुन लीजिए.. जब तक एक विषय  की बहस पूरी नहीं हो जाती, दूसरे पर च चा र्नहीं की जा सकती.
विरोधी टरार्ये - यिों,हम किसी भी विषय  पर बात करने स्वतंत्र है.
- ठीक है, लेकिन कीच ड़ यिों उछलते हैं ?
- बरसात का मौसम है इसलिए...।

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