छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य ( गरीबा ) के प्रथम रचनाकार श्री नूतन प्रसाद शर्मा की अन्‍य रचनाएं पढ़े

बुधवार, 13 जुलाई 2016

सुन्‍ता के खेती

नूतन प्रसाद

जउन डहर ले जुरमिल जाबो,रद्दा बनही अपने आप।
देख के हमर हिम्मत पौरूष ल दसो दिशा हा जाही कांप।।
एक सूत मं हाथी कभू बंधाय  नहीं मोर मितवा रे
उही ल डोर बनाबो त बंधाही बघवा चि तवा रे.
तीन छै के दिशा ल संगी,ऐके दिशा मं जल्दी खाप।
जउन डहर ले जुरमिल...............................।।

सुन्ता के खेती मं बनथे अड़बड़ बिगड़े बूता हा
कभू बियापे नई कोई ल बरसा जाड़ के जूता हा.
कहूं उमड़ जाबो एक्‍के मिल बेर सरग ल लेबो नाप।
जउन डहर ले जुरमिल..............................।।

एक खेत के कांद निकाले बर कई मनखे लग जाथे
जोरफा देख के कठिनाई हर पूंछी उठा के भागथे.
अनगिनती हन का कर लेही दुख विपदा के अंधरा सांप।
जउन डहर ले जुरमिल ....................................।।

उल्टा पुल्टा रेंगय  मं सब काम बिगड़ जाथे ठउका
अलग -अलग पतवार च ले मन धार बीच  मं उलटथे नउका.
तुम ज्ञानी हो पर काबर बइठे हो चुप्पे चाप ।
जउन डहर ले जुरमिल.........................।।

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