गोपाल साहू
दुनिया मारथय कइसे लबारी
सबके मुड़ मं गदहा के संवारी
दाई ददा पोंसे पाले,लइका फेर ओला हकाले
बनके पंछी पिंजरा मं राखय
कुकुर बिलइ ल संग सुतावय
दाई-ददा फिरे दुआरी-दुआरी
सबके मुड़ मं गदहा के सवारी
जीय त दाई-ददा बर पसिया नइहे
दाई-ददा के गोठ बात सहिना नइहे
कुंवार महिना के बात ये
कउवा सबके बाप बने
ओकर बर बरा सोहारी
सबके मुड़ मं गदहा के सवारी
जीय त देवता पसिया न पावे
पखरा-माटी मं खीर च ड़ावे
कहत गोपाल तुम
करव मत मुड़ मं उधारी
सबके मुड़ मं गदहा के सवारी
दुनिया मारथय कइसे लबारी
सबके मुड़ मं गदहा के संवारी
दाई ददा पोंसे पाले,लइका फेर ओला हकाले
बनके पंछी पिंजरा मं राखय
कुकुर बिलइ ल संग सुतावय
दाई-ददा फिरे दुआरी-दुआरी
सबके मुड़ मं गदहा के सवारी
जीय त दाई-ददा बर पसिया नइहे
दाई-ददा के गोठ बात सहिना नइहे
कुंवार महिना के बात ये
कउवा सबके बाप बने
ओकर बर बरा सोहारी
सबके मुड़ मं गदहा के सवारी
जीय त देवता पसिया न पावे
पखरा-माटी मं खीर च ड़ावे
कहत गोपाल तुम
करव मत मुड़ मं उधारी
सबके मुड़ मं गदहा के सवारी
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