छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य ( गरीबा ) के प्रथम रचनाकार श्री नूतन प्रसाद शर्मा की अन्‍य रचनाएं पढ़े

रविवार, 7 अगस्त 2016

फागुन तयं आवत होबे

गोपाल साहू

फागुन तयं आवत होबे ।
रंग गुलाल संग मं लावत होबे ।।

रद्दा जोहत हवन,संगी जहुरिया ।
उज्‍जर - उज्‍जर लागय  घर कुरिया ।।
रंग -पिच कारी लइका मन बर
 लावत होबे.......। फागून तंय ......।

लकड़ी सकेलथे लइका अउ सियान ।
जोरा करत हवन रंग अउ गुलाल ।।
सबे रंग ल फागून तंय
 लावत होबे...। फागून तंय ......।

चीपरी मोटियारी होगे,फागून तिहार मं
झूम-झूम नाच त हवय ,गली खोर-खार मं
मैना सुघ्घर बोली पपीहा ल
जगावत होबे....। फागून तंय ....।

आवत जम्मों होली मं सकला जबोन ।
सबो दुश्मनी ल होली मं जला देबोन
अइसने कहिके फागून
गोपाल ल समझावत हवय ....। फागून तंय ....।

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