गोपाल साहू
फागुन तयं आवत होबे ।
रंग गुलाल संग मं लावत होबे ।।
रद्दा जोहत हवन,संगी जहुरिया ।
उज्जर - उज्जर लागय घर कुरिया ।।
रंग -पिच कारी लइका मन बर
लावत होबे.......। फागून तंय ......।
लकड़ी सकेलथे लइका अउ सियान ।
जोरा करत हवन रंग अउ गुलाल ।।
सबे रंग ल फागून तंय
लावत होबे...। फागून तंय ......।
चीपरी मोटियारी होगे,फागून तिहार मं
झूम-झूम नाच त हवय ,गली खोर-खार मं
मैना सुघ्घर बोली पपीहा ल
जगावत होबे....। फागून तंय ....।
आवत जम्मों होली मं सकला जबोन ।
सबो दुश्मनी ल होली मं जला देबोन
अइसने कहिके फागून
गोपाल ल समझावत हवय ....। फागून तंय ....।
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