छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य ( गरीबा ) के प्रथम रचनाकार श्री नूतन प्रसाद शर्मा की अन्‍य रचनाएं पढ़े

रविवार, 28 अगस्त 2016

विकास के सहयोगी

नूतन प्रसाद

           एक संत थे। बाद में वे महात्मा धर्म प्रचारक और आध्यात्मिक गुरू कहलाते गये। लोगों को उपदेश देते। मांस भक्षण निषिद्ध है। शराब का सेवन बंद करो।
          श्रोता उनके पुनीत विचारों से प्रभावित हुए। सम्पूर्ण राष्ट्र में उनकी ख्याति फैली। अब संत ने पश्चिमी देशों का भ्रमण करने का विचार किया। वे सर्वप्रथम इंग्लैण्ड गये। वहां दीक्षा दी - '' मांस मत खाओ। यह हिंसा है। शराब को हाथ मत लगाओ - यह सामाजिक बुराई है।''
          अंग्रेज बड़े प्रभावित हुए। दैनिक पत्रों ने उन्हें प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित करके सम्मान दिया। संत ने अपनी प्रशंसा की - '' अब यहां के लोग मेरे अध्यात्मिक प्रवचन को अपने जीवन में आत्मसात करेंगे।''
लेकिन यह क्या - लोग शराब पी रहे हैं। मांस खा रहे हैं। अब तो संत को श्राप देना ही था -  '' तुम लोग नास्तिक हो। तुमने भारत पर अत्याचार किया। लार्ड मैकाले ने अंग्रजी शिक्षा लाद दी- आज के युवक भारतीय सभ्यता भूल गये। लार्ड डलहौजी ने भारतीय राजाओं को बेदखल कर दिया। तुमने रेल भेजा। आज दुर्घटनाओं से हजारों यात्रियों की मौत होती है। तुमने अखबार निकाला। आज उसमें निंदा- हत्या- बलात्कार के सिवा कुछ अच्छी खबर नहीं होती। बिजली भेज दी- लोग उसे छूते ही मर रहें हैं। पश्चिम ने अध्यात्मिक देश को षड़यंत्र रचा। भौतिकवादी बनाने है। मेरी चेतावनी है - तुम अपने सभी उपकरणों और वस्तुओं को वापस  ले आओ।''
         लोगों ने संत के आरोपों को स्वीकारा। कहा - '' वास्तव में अंग्रेजों ने भारत पर अत्याचार किया। हमने देश को लूटा। इतिहास में हमारे खिलाफ बड़े बड़े लेख हैं।''
        अंग्रजों ने आत्मीयता के साथ विदा किया। वे प्रसन्न थे - मैंने पश्चिम को खरी खोटी सुनाई मगर उसने प्रतिवाद नहीं किया। जब अपराध किया तो आरोप स्वीकारना ही था।''
       संत जी भारत आये। उनके स्वागत में रोशनी होनी चाहिये। भीड़ लगनी चाहिये। पर यह क्या - बिजली बंद है। रेल के पहिये थम गये हैं। इंटरनेट बंद। अखबार सेवा ठप। समस्त भारत सोलहवीं सदी में चला गया।
शिक्षित युवा इस महाबंद का कारण ढूंढ़ने लगे। पता चला - संत जी के निर्देशन के अनुसार पश्चिम अपने भौतिक वस्तुओं को वापस ले गया। युवा पश्चिम दौड़े। कारण पूछा- तो पश्चिम के लोगों ने कहा - तुम अहिंसक हो। मांस भक्षण को रोकते हो। भारतीय युवकों ने कहा - हमारा देश गर्म वातावरण होने के कारण शराब सेवन को रोकता है। आदिम युग में हमारे पूर्वज मांस खाते थे। पर अनाज उत्पादन प्रांरभ हुआ। भण्डारण शुरू हुआ। तो मांस पर प्रतिबंध लगा। यह तो विकास कथा है। तुम्हारा ठण्डा मुल्क है। तुम सेवन कर सकते हो। तुमने भारत पर असीम कृपा की - रेल दिया आज वह जीवन रेखा है। अंग्रेजी शिक्षा दी। आज हमारा पूरे विश्व में सम्पर्क हुआ। स्कूल कालेज खोला- हम शिक्षित हुए। इंटरनेट मोबाइल टी.वी. फिल्म अखबार बजट तुम्हारा ही दिया है। आज भारत विकास के पथ पर है, उसका श्रेय तुम्हें ही मिलेगा। भारतीय नेता इंग्लैण्ड आये। गांधीजी - नेहरू जी सबकी शिक्षा यहीं हुई। तब उन्होंने स्वराज की मांग की। प्रजातांत्रिक व्यवस्था की जानकारी यहीं मिली। इतिहास लेखन तुमने सिखाया ... हम तुम्हारे उपकार तले दबे हैं। पुन: भारत को पूर्ववत सभी उपकरण वापस कर दो।
            युवकों के वास्तविक आकंलन और स्वच्छ विचारों को सुनकर पश्चिम को बड़ी खुशी हुई। उसने भारत को विकसित राष्ट्र बनने का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

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