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शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

गाय का निबंध

                                                    गाय का निबंध
 राजा दिलीप के गाय का नाम नंदिनी था। वह चारा चरने जंगल गई। उसे खाने के लिये शेर ने पकड़  लिया। इसका पता राजा को चला। वे आये। शेर से कहा- गाय को छोड़ दो।
शेर ने कहा- मैं भूखा हूं। यह मेरा भोजन है। इसे मैं खाऊंगा।
राजा ने अपना गला शेर के मुंह में डाल दिया। कहा- लो, मुझे खाओ पर गाय को जीवनदान दो।
लोगों को इस घटना की जानकारी मिली। वे राजा को गो रक्षक मानकर उसकी वंदना करने लगे। आजकल गाय अत्यंत श्रद्धा का पात्र बन गई है। लोग उसकी भक्ति में डूबे हैं। हर धर्म- हर सम्प्रदाय उसे माता और पूजनीय कहता है। राजनीति के महारथियों ने चुनाव के मैदान में लाकर खूंटे से बांध दिया है। कभी सत्ता पक्ष अपनी ओर खींचता है तो कभी विपक्ष अपनी ओर नोचता है। गाय पीड़ा से घिघिया रहीं है। वह किस पक्ष में जाये- निर्णय अभी शेष है। ब्रकिंग न्यूज में पता चला कि बीफ भोजन के मीनू में शामिल है पर चिकित्सक ने बताया कि इसके सेवन से अनेक बीमारियां होती है।
गो सेवक ने गाय खरीदा। उसकी पूजा की। हरा चारा खिलाया। दूध दूह कर रूपया कमाया। दूध बंद तो गाय को घर से भगा दिया। अब वह सब्जी बाजार में मोटे- मोटे उंडों से पीटी जा रहीं है। लोग बेचारी कहकर उस पर दया बरसा रहें है।
पर वास्तव में गाय क्या है- वह श्रद्धा की पात्र है।़ या पीटने के लायक। भोजन की वस्तु या त्यागने के लायक।़ कठिन प्रश्न का उत्तर यह आया कि गया वह है जो प्राथमिक शाला में पढ़ते थे। और निर्मल मन से गाय का निबंध लिखते थे-
गाय के दो सींग, दो आंखें, चार पैर और एक पूंछ होती है। वह घास खाती है। वह बछड़ा देती है। इससे दही, मही,मक्खन और घी बनता है। गाय गोबर देती है। इसे कण्डा बनाकर जलाते है।
अंत में गाय मरकर भी हमारी सेवा करती है- उसकी हड्डियों से बटन बनता है। चमड़े से पर्स और जूते बनते हैं।

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