छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य ( गरीबा ) के प्रथम रचनाकार श्री नूतन प्रसाद शर्मा की अन्‍य रचनाएं पढ़े

सोमवार, 2 जनवरी 2017

सर्जिकल स्‍टृाइक का प्रथम वीर

नूतन प्रसाद
     सीता हरण हो चुका था। यह अपराध लंका के शासक रावण ने किया। वहां राम लक्ष्मण हनुमान अंगद जामवंत चिंतित बैठे थे। लक्ष्मण ने कहा - '' रावण राजा है। प्रजा के हितों की रक्षा करना उसका कर्तव्य है। लेकिन यहां स्वयं दुर्बलों और निरोहों पर अत्याचार कर रहा है।''
    राम ने कहा -'' वह आतंक को बढ़ावा देता है। उसका दमन करने के प्रोत्साहित करता है। देखो न - एक बार विश्वामित्र और कवि बुद्धिजीवी समाज हित में चिंतन कर रहे थे। तभी सुबाहु तड़ाका और मारीच उत्पाद मचाने लगे। तब हमने आतताइयों को मारकर भगाया। और बौद्धिक समाज के हितों की रक्षा की।''
    जामवंत विचार मग्न बैठे थे। उन्होंने कहा - '' अब आतंकियों का खात्मा आवश्यक है। इस कार्य को पूर्ण करने की जिम्मेदारी अंगद को सौंपता हूं।''
    अंगद से कहा - '' तुम लंका जाओ। सीता का पता लगाओ। इस कार्य मेें अनेक बाधाएं आयेंगी। विदेशी शत्रुओं से युद्ध करना पड़ेगा। मगर अपने पराक्रम से उन्हें परास्त कर देना।''
   अंगद ने कहा - '' मुझे आपका आदेश स्वीकार है। लंका सम्पन्न राष्ट्र है। वहां की सैन्य शक्ति बलशाली है। लोग शिक्षित है। वहां जाकर अपने उद्देश्य में असफल हो गया तो मेरी आलोचना होगी। उस महती कार्य के लिये मुझे जिम्मेदारी न दें।''
    जामवंत ने हनुमान की ओर देखा। वे शांत और गंभीर बैठे थे। जामवंत ने कहा - '' मुझे तुम पर विश्वास है। तुम बलशाली हो। बुद्धिमान हो। तुममें शत्रु से लोहा लेने की क्षमता है। तुम जाओ। सीता का पता लगाओ।''           
     हनुमान ने कहा - '' यद्यपि यह कार्य कठिन है मगर आप सभी का मुझ पर विश्वास है तो विदेश में भी अपने राष्ट्र का गौरव गान करूंगा।''
     हनुमान ने द्रुत गति से लंका के लिये प्रस्थान किया। वे सीमा के पास पहुंचे कि लंकिनी से सामना हो गया। लंकिनी ने कहा - '' मैं सीमा सुरक्षा बल की वरिष्ठ अधिकारी हूं। अनाधिकृत प्रवेश करने वाले को पकड़ कर दण्ड देती हूं।''
     हनुमान ने पूछा- '' तुम्हारे राष्ट्राध्यक्ष ने एक स्त्री को धोखा देकर चुरा लाया। उसे क्या दण्ड दिया। रावण स्वयं अपराधी है उसे ही सही मार्ग पर चलने की सलाह दो।''
    लंकिनी बोली - '' मैं देश भक्त हूं। अपने देश - अपने शासक की आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकती।''
    उसने हनुमान को युद्ध में पराजित करने की कोशिश की पर स्वयं हार गयी। हनुमान ने लंका में प्रवेश कर लिया। वहां सैनिकों के बीच घिर गये। उन्हें बंदी बनाकर रावण के पास लाया। रावण ने पूछा - '' तुम कौन हो। हमारे सैनिकों को क्यों मारा ?''
    हनुमान ने कहा - '' मैं राजदूत के रूप में यहां आया हूं। मेरे साथ तुम्हारे सैनिकों ने अन्याय किया। मुझे शारीरिक कष्ट पहुंचाया तब मैंने भी उन्हें मारा '' जे मोहि मारे तेहि मैं मारा ''
    रावण ने अपने सैनिकों को इशारा किया कि हनुमान को बांधकर यातना दो। तब हनुमान ने पूरे लंका में कहर बरपाया। शत्रुओं को मारा। लंका को जलाया। सीता का पता पहले ही लगा चुके थे। उनका उद्देश्य पूर्ण हो चुका था। वे शत्रु राष्ट्र में घुसकर उन्हें  ही मुंह तोड़ जबाव दिया था। अत: उन्हें '' सर्जिकल स्ट्राइक '' का प्रथम वीर कहा जाता है।

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